धर्म युद्ध का संकल्प दोतरफा नहीं - मेरा है -- Desh Ratna
आज फिर गांडीव थाम लिया है भुजाओं में मैंने, और पाञ्चजन्य अधरों से लगाने ही वाला हूँ,
सुदर्शन भी मैं ही उठाऊंगा और कवच कुंडल की मांग भी मुझसे ही होगी
अंगूठा भी मेरा ही कटेगा और रिक्त गुरुपद की भरपाई भी मैं ही करूंगा..
पर इस बार चक्रवियुह की रचना नहीं करने दूंगा किसी द्रोण को .
और ना कोई शिखंडी का सहारा ले गंगापुत्र की हत्या कर पायेगा,
ना किसी जयद्रथ का वध सूरज की किरणों का मोहताज़ बनेगा,
और ना ही दुर्योधन के जंघाओं पे प्रहार कर कायरता का परिचय दूंगा..
धर्म युद्ध का संकल्प दोतरफा नहीं - मेरा है...
(वर्ष की पहली रचना- देश रत्न
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