मर्यादा - Desh Ratna


लो आज मैंने तुम्हारा भी परित्याग कर दिया... मुझे मर्यादा के वरदान के साथ कठोरता का अभिशाप भी मिला है...
November 9, 2010 at 1:10pm

तुम्हें राम और रावण दोनों मुझमे ही नज़र आते थे....और रावण हमेशा मेरे राम पे हावी दीखता था.... और पूरी अयोध्या मर्यादा बन मेरे सामने खड़ी थी..
November 9, 2010 at 3:32pm

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मैं तुम्हें पाना नहीं अपनाना चाहता था।।