मैं मर्द हूँ और मुझे अपने होने का गर्व है।

मैं मर्द हूँ और मुझे अपने होने का गर्व है।
मेरा बलात्कार करना बंद करो अब।
तुम्हारे आँचल में जगह हो तो मुझे पनाह दो।
मैं सालों से सोया नहीं तुम्हारी फिक्र में।
- © बख्त फ़क़ीरी "देश रत्न "
(वर्ष 2012 की आखिरी नज़्म)

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