शहर में सब होता है बस वक़्त नहीं होता.

शहर में सब होता है बस वक़्त नहीं होता.
अलकतरे वाले सड़क पे दरख़्त नहीं होता.

नया उसूल नये कानून नयी-नयी रिवायतें हैं.

स्कूल का मास्टर भी अब सख्त नहीं होता.

सारा बाज़ार खरीद लाते अपना घर सजाने को.

गर लुटने को ये दिल कमबख्त नहीं होता.

ये सिकंदर मिज़ाजी तो हादसों की दौलत है.

शाहजहानाबाद का हर फ़क़ीर बख्त नहीं होता. 

-- © बख़्त फ़क़ीरी 'देश रत्न'

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