साकी - Desh Ratna Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps - December 06, 2008 बड़े जागदिल निकले तुम कि एक हँसी भी ना दे पाए,कहीं अच्छी है वो साकी जो हँसा देती है और शराब भी Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps Comments
Ek Sher - March 24, 2015 बादशाह था बशीर हो गया. सुना है वो फ़क़ीर हो गया.. -- © बख्त फ़क़ीरी "देश रत्न " Read more
मैं तुम्हें पाना नहीं अपनाना चाहता था।। - March 24, 2015 तुमसे पहले भी कई किरदार आकर चले गए। मेरी दोशीजगी पे हुस्न के धब्बे लगाकर चले गए। तुम्हारी फितरत से तुम मजबूर हो। और मेरी आदत से मैं। पर इस लेन देन के सौदे के दरमयान तुम ये समझ ही नहीं पाए - मैं तुम्हें पाना नहीं अपनाना चाहता था।। - © बख्त फ़क़ीरी "देश रत्न" Read more
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