मौत - देश रत्न (Desh Ratna)

बीती रात कोई मर गया शायद,
उजाला बस्ती में कफ़न का कार गया शायद .

मौत उसके पीछे ना पड़ी थी,
बेचारा ज़िन्दगी से डर गया शायद.

नुमाइश को यूँ तो एक जिस्म रक्खा था,
सुबह त़क वो भी सड़ गया शायाद.

थककर ज़िन्दगी के रेलम-पेले से,
सफ़ेद काप्दों में वो संवर गया शायद..

year - 2003
Malviya Nagar delhi
सारे शेर मेरी तरह आवारा हैं....कद्रदानों से मुआफी की तलब है..

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