एक और गुस्ताख़ी - देश रत्न (Desh Ratna)

जब तुने बनाया हुस्न तो ये दिल बनाया क्यूँ?
मेरे रोशन किये चरागा ने मेरा घर जलाया क्यूँ?
रौशनी के जशन में उजालों का सबब उम्दा,
रौशनी की बारात में तीरगी को बुलाया क्यूँ?
अन्धेरें में सक्सियत गुमनाम ही सही,
सूरज ने फिर उगने का वादा निभाया क्यूँ?
उसे नागुज़र थी हमारी सोहरत शायद,
सेहरा की भीगी रेत से हवा ने मेरा नाम मिटाया क्यूँ?
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