मेरी आँखों में खौफ़ नहीं मिलेगा.

मेरी आँखों में खौफ़ नहीं मिलेगा.

मेरा जिस्म आज भीगा है जो तुम देख पा रहे हो
हो सकता है कल ये गलने लगे और परसों सड़ जाये.
और मेरे सड़े जिस्म से बदबू आने लगे.
मुझे मालूम है ये जो मीडिया के कैमरे मुझे लगातार घूर रहे हैं.
ये मेरे सड़े जिस्म की नुमाइश करने ज़रूर आयेंगे.
तब तुम देखना --
मेरी चमरियों में शायद सिलवटें पड़ी होंगी.
पाव भर मांस बाहर लटकने लगा होगा.
मेरे नाख़ून का रंग सफ़ेद हो चुका होगा..
मेरे इस सफ़ेद रंग को गौर से देख लेना.
ये रंग मैं हर सियासतदार के कुर्ते पे छोड़ कर जाऊंगा.
और एक बात --
तुम्हें मेरे सिकुड़े जिस्म के झुर्रीदार चेहरे पे दो आँखें भी मिलेंगी..
और तब तुम देखोगे --
तुम्हें मेरी आँखों में खौफ़ नहीं मिलेगा.. - © बख्त फ़क़ीरी "देश रत्न "
 

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